
परिचय –
पपीते की खेती किसान सालो से करते आ रहे है, पपीता आर्थिक रूप से ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है। पपीते की खेती करना बहुत आसान है, किसान थोड़ी-सी देखभाल में भी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है। इसी कारण किसान भी पपीते की खेती को अपनाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।
पपीता कम समय में फल देने वाला पौधा है, यह सिर्फ 8 से 10 महीने में ही फल देना चालू कर देता है, और हर पौधा 2 से 3 साल तक फलन देता है।
पपीते का उपयोग नास्ते में, ज्यूस के रूप में किया जाता है, पपीते से पेपेन प्राप्त होती है जिसका प्रयोग च्विंगम बनाने में किया जाता है।
पपीते की खेती के फायदे –

पपीते की खेती के आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से अनेक फायदे है। जैसे की –
1.सेहत के लिए फायदेमंद – पपीता विटामिन्स का अच्छा स्त्रोत है, यह पाचन को ठीक करता है और शरीर के इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाता है।
2.कम लागत – ज्यादा मुनाफ़ा – पपीते की खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है, क्योंकि इसमें ज्यादा श्रमिकों, महंगे रसायनो की जरूरत नहीं होती है। जिससे किसानों को मुनाफ़ा ज्यादा होता है।
3.बाज़ार में मांग – पपीता एक ऐसा फल है जिसकी मांग बाजार में साल – भर बनी रहती है, जिससे किसान अपनी फसल को आसानी से बेच सकते है।
4.कम समय में – पपीता एक ऐसा फ़लदार पौधा है जो कम समय में (8 से 10) महीने में फलन दे देता है।
पपीते की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी –
1.जलवायु (climate) – पपीता एक गर्म जलवायु में लगने वाला पौधा है, इसके लिए ठंड व पाला नुकसानदायक है। पपीते की खेती के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान सही रहता है। पपीते की खेती ऐसी जगह पर करनी चाहिए जहाँ इसे धुप मिल सके वरना पौधा अच्छी वर्द्धि नहीं कर पाता है।
2.मिट्टी (soil ) – पपीते की खेती के लिए रेतीली और दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इसमें जलभराव की समस्या नहीं आती है। पपीते का पौधा जलभराव के प्रति बहुत सवेदनशील होता है, जिससे पौधा गल कर खराब हो जाता है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थो की मात्रा अच्छी होनी चाहिए जिसके लिए गोबर की खाद का उपयोग किया जा सकता है।
पपीते की प्रमुख किस्में –
पपीते की खेती के लिए पपीते की प्रमुख किस्मो का चयन करना बहुत जरुरी है, क्योंकि अलग – 2 किस्मो के लिए अलग – 2 तापमान, मिट्टी की जरूरत होती है, जो उत्पादन को भी प्रभावित करती है ।पपीते की कुछ महत्वपूर्ण किस्मे –
1.पूसा ड्वार्फ – यह एक पपीते की किस्म जिसे IARI द्वारा विकसित की गई है। यह एक काम ऊंचाई वाली किस्म है, इसलिए इसकी तुड़ाई आसान होती है।
इसके फ़ल आकर में छोटे और मीठे होते है।
2.पूसा डीलिशियस – इस किस्म के फल बड़े और मीठे होते हैं। इससे उत्पादन अच्छा होता है और इसकी बाजार में मांग भी काफी रहती है।
3.रेड लेडी – यह पपीते की सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म है। यह 8 से 10 महीने में फलन दे देती है। इसके फल मध्यम आकार के और मीठे होते है। इस किस्म में रोग कम लगते है।
4.सनराइज सोलो – इस क़िस्म के फल स्वाद में बहुत मीठे होते है। इसके फल छोटे लेकिन लाल गूदे वाले होते हैं। यह क़िस्म बगीचों में लगाने के लिए बढ़िया है।
पपीते की खेती के लिए भूमि की तैयारी –

पपीते की खेती के लिए सही स्थान का चयन कर उसकी तैयारी करना बहुत जरुरी है। जहा हम पपीते की खेती कर रहे है वहा पर पर्याप्त मात्रा में पौधो को धूप मिलनी चाहिए और जमीन जलभराव से मुक्त होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा पानी से पौधा ख़राब हो जाता है।
पपीते के पोधो या बीज की बुवाई के लिए भूमि की शुरूआती तैयारी में गहरी जुताई करके मिट्टी में गोबर की खाद को मिला देना चाहिए जिससे की कार्बनिक पदार्थो की मात्रा बढ़ जाए। फिर कुछ समय के लिए जमींन को खुला छोड़ दिया जाता है ताकि हानिकारक किट और रोग ख़त्म हो जाए।
इन सभी बातों पर ध्यान देकर, किसान पपीते की खेती को सफलतापूर्वक कर सकते हैं, और अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
खाद और उर्वरक –
पपीता एक ऐसा पौधा है जो कम समय में फल देना शुरू कर देता है, इसलिए इसे सही पोषण की जरूरत होती है। अगर पौधे को सही समय पर खाद और उर्वरक दिए जाएँ, तो पपीते का पौधा फलन अच्छा देता है और रोगमुक्त रहता है ।
1.जैविक खाद (Organic Fertilizer) – कार्बनिक पदार्थो की मात्रा बढ़ाने के लिए गोबर की सड़ी हुई खाद या कम्पोस्ट का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि यह पौधे की अच्छी शुरुआत के लिए बहुत ज़रूरी है। प्रति पौधे के हिसाब से लगभग 10 से 15 किलो खाद साल में एक बार देनी चाहिए।
2.रासायनिक उर्वरक (Chemical Fertilizers) – पपीते को मुख्य रूप से प्राथमिक पोषक तत्वों की जरूत होती है जैसे की नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटाश (K) ।
प्रति पौधे के हिसाब से हर साल नाइट्रोजन (N) – 400 ग्राम, फॉस्फोरस (P) – 250 ग्राम और पोटाश (K) – 400 ग्राम देनी चाहिए।
इन उर्वरको का प्रयोग पौधे के चारों ओर मिट्टी में हल्के से मिलाकर करना चाहिए।
पपीते के फलों की तुड़ाई और भण्डारण –

जब पपीते के फल बीज बोने के 8 से 10 महीने बाद में रंग बदलने लगे यानि हल्के पीले रंग के होने लगे तो फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। फल को पूरी तरह पीला होने से पहले तोड़ लेना चाहिए, ताकि इसे रास्ते में पकाया जा सके जिससे यह जल्दी ख़राब नहीं होता है ।
फल को हाथ से धीरे-धीरे घुमाकर या चाकू से तोड़ना चाहिए, क्योंकि कई बार फल निचे जमीन पर गिर जाता है जिससे फल जल्दी ख़राब हो जाता है।
फलों की तुड़ाई के बाद पपीते को छायादार और ठंडी जगह पर रखना चाहिए, जहाँ हवा आती-जाती रहे। फल को टोकरी या प्लास्टिक के क्रेट में सावधानी से रखना चाहिए, ताकि वे दबें नहीं। अगर फल ज्यादा पक चुका हो तो उसे फ्रिज रख देना चाहिए। लेकिन तुड़ाई के बाद पपीते को 1 से 3 दिन के अंदर ही बाजार में भेज देना चाहिए।
निष्कर्ष –
पपीता एक ऐसा फल है जो कम समय में तैयार होकर फलन देना शुरू कर देता है, यह किसानो को कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देता है। पपीते की मांग पूरे साल बनी रहती है।
इसकी खेती करना बहुत आसान है बस सही किस्म को चुनकर, पौधों की थोड़ी देखभाल करनी होती है और समय पर सिंचाई, खाद देनी पड़ती है।
अगर कोई किसान खेती में जल्दी कमाई वाली फ़सल ढूंढ रहे हैं, तो पपीते उनके लिए एक अच्छा विकल्प है। थोड़ी मेहनत और सही जानकारी के साथ कोई भी किसान इससे अच्छा लाभ कमा सकता है।
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