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मशरूम उत्पादन: एक लाभकारी व्यवसाय

परिचय –

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसी खाने योग्य चीज़ जिसे हम कम समय, कम जगह और कम संसाधनों में उगाकर भी अपनें जीवन को बदल सकते है? जी हां, हम बात कर रहे हैं मशरूम की, जिसकी खेती कर आज किसान अपनी आर्थिक स्थिति में बदलाव ला रहे है | 

भारत में मशरूम उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है और मशरूम की कीमतें भी बढ़ रही हैं। मशरूम की खेती किसानो के लिए एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसमें सही जानकारी और तकनीकों की जरूरत होती है।

आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे की मशरुम की खेती कैसे की जाती है? और इसके क्या फायदे है |

मशरुम क्या है – 

मशरुम एक कवक की प्रजाति है जिसे नमी व अंधेरे वाली जगह पर उगाया जाता है | यह कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है जैसे प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स जिसकी वजह से यह मधुमेह व कैंसर रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है |

मशरुम के प्रकार – 

खाने योग्य मशरुम – मशरुम की बहुत सी प्रजाति है लेकिन हम सभी का उपयोग खाने के लिए नहीं कर सकते है, कुछ ही परजातियाँ ऐसी है जिनका उपयोग खाने के लिए किया जाता है |  जैसे की –  

बटन मशरूम (button mushroom)

पैडी स्ट्रॉ मशरूम (Paddy Straw Mushrooms)

धिंगरी या ओएस्टर मशरूम (Dhingri or Oyster Mushroom)

ज़हरीली मशरुम – मशरुम की बहुत सी जंगली प्रजाति ऐसी है जिनका उपयोग खाने के लिए नहीं किया जाता है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले कुछ तत्वों के कारण यह मशरूम जहरीली होती है जैसे की –

डेथ कैप (Amanita phalloides)

फ्लाई एगारिक ( Amanita muscaria)

गैलेरिना (Galerina marginata)

औषधीय मशरुम – मशरुम की कुछ प्रजातियो का उपयोग दवाई इत्यादि बनाने में किया जाता है | जैसे की – 

 रेईशी मशरूम (Reishi Mushroom)

कोर्डिसेप्स (Cordyceps militaris)

 शिटाके मशरूम (Lentinula edodes)

मशरुम की खेती करने योग्य प्रजातिया व जलवायु  – 

मशरुम – वैज्ञानिक नाम –जलवायु –
1. बटन मशरूमAgaricus bisporusठंडी जलवायु  (16-18°C)
2. ऑयस्टर मशरूमPleurotus ostreatusगर्म जलवायु (20-30°C
3. शिटाके मशरूमLentinula edodesगर्म जलवायु 20-25°C
4. मिल्की मशरूमCalocybe indicaगर्म और आर्द्र जलवायु (25-35°C)
5. रेईशी मशरूमGanoderma lucidum 25-30°C
6. पैडी स्ट्रॉ मशरूमVolvariella volvacea30-35°C

मशरूम की खेती कैसे करें? – 

मशरूम की खेती एक फायदेमंद और तेजी से बढ़ने वाला व्यवसाय है। हम इसे कम लागत और कम जगह में शुरू का सकते है | आइये जानते है इसकी पूरी प्रक्रिया – 

1. मशरूम की प्रजाति का चयन –  मशरुम की खेती करने के लिए हमे सही प्रजाति का चयन करना होता है जिससे हम अच्छी उपज प्राप्त कर सके | भारत में ज़्यादातर बटन मशरुम खेती की जाती है | 

2. जगह का चुनाव – मशरुम उगाने के लिए अन्देरी जगह का चयन किया जाता है | जगह का तापमान भी नियत्रित रहना चाहिए इसके लिए ज्यादातर किसान ग्रीनहाउस, पॉलीहॉउस का उपयोग करते है | 

3. खाद (सब्सट्रेट) तैयार करना – मशरूम उगाने के लिए गेहूं या धान का भूसा, लकड़ी का बुरादा, गोबर खाद, आदि का उपयोग किया जाता है।

सब्सट्रेट का उपयोग करने से पहले इसे पानी में भिगोकर साफ किया जाता है। इसे 65-70°C पर 5-6 घंटे के लिए पाश्चराइज करके कीटाणुरहित किया जाता है।

4.  स्पॉन तैयारी और बुवाई – मशरूम बनाने के लिए स्पॉन तैयारी और बुवाई बहुत जरूरी है। पहले, मशरूम के बीज को तैयार किया जाता है। फिर, उसे मिट्टी में बोया जाता है। इस प्रक्रिया में सावधानी से काम करना चाहिए ताकि बीज नुकसान ना हो।

बुवाई के लिए, स्पॉन को मिट्टी में बोया जाता है। इसके बाद, उसे पानी और खाद दी जाती है। स्पॉन तैयारी और बुवाई के समय, तापमान और आर्द्रता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

5. मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त वातावरण – 

तापमान – 10-20 डिग्री सेल्सियस
आर्द्रता – 70-80%
प्रकाश – कम प्रकाश

6. इनक्यूबेशन प्रक्रिया – मशरुम उत्पादन में ये एक आवयश्क प्रक्रिया है जिसमे पॉलिथीन बैग्स को एक अंधेरे और गर्म कमरे में 20-25 दिनों तक रखा जाता है । जिससे मशरुम में माइसीलियम का विकास हो सके और वो पूरे सब्सट्रेट में फैल सके |

7. मशरूम की वृद्धि और देखभाल – जब सफेद रंग के माइसीलियम पुरे बैग्स में  फैल जाते है तो इनको हल्की रोशनी में रखा जाता है | इसके साथ ही बैग्स में पर्याप्त नमी बनाए रखना भी जरुरी है जिसके लिए इसमें दिन में 2-3 बार पानी का छिड़काव किया जाता है ।

8.  कटाई (हार्वेस्टिंग) – मशरुम के बीजो की बुवाई के बाद यह 30-40 दिनों में  पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। इसके बाद मशरूम को हल्के हाथों से तोड़कर इकट्ठा करेंऔर ताजगी बनाए रखने के लिए उन्हें ठंडे स्थान पर स्टोर करें।

9. रोग नियंत्रण और कीट प्रबंधन – मशरूम उगाने में रोग नियंत्रण और कीट प्रबंधन बहुत जरूरी है। मशरूम को नियमित रूप से देखना चाहिए। ताकि बीमारियों का पता लगाया जा सके और उनका इलाज किया जा सके।

कुछ सामान्य बीमारिया – 

  • फंगल रोग
  • बैक्टीरियल रोग
  • वायरल रोग

इन बीमारियों का इलाज करने के लिए, मशरूम बनाने वाले को कुछ कदम उठाने चाहिए। जैसे कि कीटनाशकों का उपयोग, जाल का उपयोग, और अन्य तरीके।

कीट प्रबंधन भी बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि कीट मशरूम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ सामान्य कीटों में शामिल हैं:

  • मकड़ी के कीट
  • तिलचट्टे
  • मॉथ्स

किट नियत्रित करने के लिए कीटनाशको का उपयोग करना चाहिए | 

मशरूम की खेती से लाभ – 

1. स्वास्थ्य के लिए लाभदायक  – 

मशरुम पोषक तत्वों से भरपूर होता है जैसे प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स जिसकी वजह से यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है | 

इसमें वसा और कैलोरी कम होती है जिसकी वजह से इसका उपयोग वजन घटाने में किया जाता है  | 

शाकाहारियों के लिए मशरूम प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है।

2. कम लागत, अधिक मुनाफ़ा  –  मशरुम उत्पादन में खर्च कम आता है और मुनाफा अधिक होता है, किसान इसे छोटे स्तर पर भी शुरू कर सकते है | इसके लिए अधिक जगह की जरूरत नहीं होती है किसान इसे कम जगह पर भी आसानी से ऊगा सकते है | 

दिनों दिन बाजार में मशरुम की माँग भी बढ़ती जा रही है जिससे इसके दाम भी अच्छे मिलते है | 

3. पर्यावरणीय लाभ – मशरुम उत्पादन में गेहूं का भूसा, लकड़ी का चूरा और अन्य कृषि अपशिष्ट पदार्थो का उपयोग किया जाता हैं, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन में मदद मिलती है। मशरूम की खेती में पर्यावरणीय नुकसान भी कम होता है | 

4. स्थानीय रोजगार – मशरुम उत्पादन में प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और विपणन जैसी प्रक्रियाओ के लिए मजदूरों की जरूरत होती है जिससे रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे | 

5. औषधीय लाभ –  मशरूम की कुछ प्रजातियां (जैसे रेशी और शिटाके) औषधीय गुणों के लिए जानी जाती हैं। इनका उपयोग शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने और कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने और के लिए किया जाता है | 

मशरूम खेती के जरिए सफलता पाने वाले किसान की दास्तान – 

रोहित वर्मा: हिमाचल के युवा का मशरूम स्टार्टअप

रोहित वर्मा, हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रहने वाले एक एग्रीकल्चर स्टूडेंट है। इन्होने एग्रीकल्चर में पढ़ाई के बाद मशरूम उत्पादन को व्यवसाय के रूप में अपनाने का फैसला किया। रोहित ने शिटाके और रेशी मशरूम की खेती पर ध्यान दिया, क्योंकि ये अधिक बाजार मूल्य के लिए जाने जाते हैं।

रोहित ने अपने प्रोजेक्ट को “हिमालयन मशरूम फार्म्स” नाम दिया और इसे एक स्टार्टअप की तरह शुरू किया। इन्होने मशरुम को ऑनलाइन बेचना शुरू किया और विदेशी बाजारों में भी प्रवेश किया।

आज उनके मशरूम फार्म की सालाना आय ₹15 लाख से अधिक है। इन्होने अपने व्यवसाय में स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया है और जैविक खेती को बढ़ावा दिया है।

निष्कर्ष – 

मशरूम उत्पादन एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है। लेकिन इसके लिए आपको सही ज्ञान और तकनीक की जरूरत है। मशरूम की खेती के लिए, आपको सही संसाधनों का उपयोग करना चाहिए और इसमें सही मार्केटिंग रणनीतियों का उपयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है।

सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाएं और वित्तीय सहायता बहुत मददगार हो सकती हैं। मशरूम उत्पादकों के लिए यह एक बड़ा समर्थन है।

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