
परिचय –
क्या आपने कभी सोचा है की जो हम रोजाना खाना खाते है वो हमारे स्वास्थय के लिए पौष्टिक है भी या नहीं? ये सवाल हमारे मन में कभी तो आया ही होगा क्योकि आज के इस समय में बढ़ती हुई जनसख्या के कारण भोज्य पदार्थो, फल – सब्जिओं की मांग बढ़ती जा रही है जिसके चलते किसान रसायन का उपयोग करके दिनों – दिन उत्पादन बढ़ा रहे है | जिसकी वजह से फसले जहरीली होती जा रही है और अनेक प्रकार के रोग फैल रहे है |
अगर हमे अपने आप को स्वस्थ रखना है तो हमे जैविक खेती को अपनाना होगा |
जैविक खेती क्या है –
खेती की वह विधि जिसमे बिना किसी रासायनिक उर्वरको, कीटनाशियों के उपयोग से फसल उत्पादन किया जाता है जैविक खेती कहलाती है | जैविक खेती करने के लिए जैविक पदार्थो जैसे – गोबर की खाद, (Manure), कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फ़सलो के अवशेष (हरी खाद) आदि का उपयोग किया जाता है | इससे न केवल फसलों की प्रकृति में सुधार होता है बल्की मिट्टी की दशा में भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है |
जैविक खेती के उदेश्य –
जैविक खेती का मुख्य उदेश्य मिट्टी की उर्वर शक्ति को बनाये रखना व साथ ही रसायनमुक्त खाने योग्य चीजों का उत्पादन करना है जिससे मिट्टी व इंसान दोनों स्वस्थ रह सके | जैविक उत्पादों की बाजार में मांग अधिक है जिससे किसानो की आय में भी वर्द्धि होगी और उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा |
रसायनो के त्याग व जैविक पदार्थो को अपनाने से वातावरण प्रदूषित नहीं होता है, जिससे मनुष्य, पशु आदि भी स्वस्थ रहते है |
जैविक व रासायनिक खेती में अंतर –
आज के इस समय में खेती कई प्रकार से की जा सकती है जिसमे जैविक खेती व रासायनिक खेती भी खेती की ही विधियाँ है |
जैविक खेती जैविक पदार्थो जैसे – गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद आदि के उपयोग से की जाती है जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है परन्तु रासायनिक खेती में रासायनिक उर्वरको, कीटनाशियों का उपयोग किया जाता है जिससे मिट्टी व मनुष्य के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है |
जैविक खेती का भविष्य –
जैविक खेती का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि इससे न केवल स्वस्थ भोजन प्राप्त होता है बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देती है | लोग अपने स्वास्थय को लेकर जागरूक होते जा रहे है जिससे वह रासायनिक पदार्थो को छोड़कर जैविक पदार्थो को अपना रहे है, जिसके कारण जैविक पदार्थो व जैविक खेती की मांग बढ़ती जा रही है |
जैविक खेती को अपनाकर किसान टिकाऊ व लम्बे समय तक खेती कर सकते है क्योकि यह जमीन की उर्वर शक्ति को बनाये रखती है | जमीन का उपजाऊपन कम नहीं होने देती है | नई तकनीकों व उपकरणों के उपयोग से इसे और भी सरल बनाया जा सकता है |
जैविक खेती के लाभ –

जैविक खेती केवल मनुष्य व पर्यावरण के लिए ही लाभकारी नहीं है बल्की यह सामाजिक व आर्थिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है | इसके निम्न लाभ है –
1. पौष्टिक भोजन – जैविक खेती से हमें स्वास्थ्य को बनाये रखने वाले पौष्टिक भोज्य पदार्थ प्राप्त होते है, जिसमे किसी भी प्रकार से रासायनिक उर्वरको व कीटनाशियों का उपयोग नहीं होता है |
2. मिट्टी की उर्वर शक्ति – जैविक खेती को अपनाने से मिट्टी की उर्वर शक्ति बनी रहती है जिससे किसान लम्बे समय तक खेती कर सकते है |
3. जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग – जैविक उत्पादों की मांग बहुत बढ़ती जा रही है जिसके चलते किसानो के पास ये एक अच्छा अवसर हो सकता है |
4. आर्थिक स्थिति में सुधार – किसान जैविक उत्पादों को बेचकर उससे अच्छे दाम प्राप्त कर सकता है जिससे उसकी आर्थिक स्तिथि में भी सुधार होता है |
5. लागत में कमी – किसान महंगे उर्वरको व कीटनाशियों के बदले में जैविक पदार्थो का उपयोग करके खेती करता है तो उससे उसकी लागत में भी कमी आती है |
जैविक खेती की प्रमुख विधियां –
जैविक खेती में कई तरीके हैं। ये मिट्टी को स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। इसमें जीवामृत, बीजामृत, और मल्चिंग तकनीक प्रमुख हैं।
1. जीवामृत – इसमें जीवाणुओं की सहायता से जैविक उर्वरक तैयार किये जाते है | जीवाणु मिट्टी को नमी से भर देते है, जिससे फसलें तेजी से बढ़ती हैं |
2. बीजामृत – इसमें भी जीवाणुओं का ही उपयोग किया जाता है। बीजो की बुवाई करने से पहले उनको तैयार किये गए घोल से उपचारित करते है जिससे यह बीजों को सुरक्षित रखता है।
3. मल्चिंग तकनीक – इस तकनीक में मिट्टी को सूखे घाँस, प्लास्टिक की चदर आदि से ढक देते है जिसे मल्च कहते है और इस प्रक्रिया को मल्चिंग कहा जाता है। यह मिट्टी में नमी को समाप्त नहीं होने देती है जिससे फसलों की बढ़वार अच्छी होती हैं।
इन तरीकों से किसान सफलतापूर्वर्क जैविक खेती कर सकते हैं। जीवामृत, बीजामृत, और मल्चिंग तकनीक मिट्टी को स्वस्थ बनाती हैं।
जैविक खेती कैसे करें?

जैविक खेती पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने हेतु की जाती है | इसमें फसल उत्पादन के लिए किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरको व कीटनाशको का उपयोग नहीं किया जाता है | जैविक उत्पादों के उत्पादन के लिए गोबर की खाद, कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, जैव उर्वरक, फसल अवशेष आदि पदार्थो व फसल चक्र और मिश्रित खेती जैसी प्रक्रियाओ का उपयोग किया जाता है | आइए इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को निम्न बिन्दुओ से समझते है –
1. मिट्टी की तैयारी – जैविक खेती के लिए जमीन का उपजाऊ व स्वस्थ होना जरुरी है जिसके लिए हम उसमे गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, हरी खाद, और जैविक उर्वरकों का उपयोग करके उसकी प्रारम्भिक तैयारी कर सकते है |
2. बीज उपचार – बीजो की बुवाई करने से पहले उन्हें जैविक विधियों से उपचारित करें जैसे की नीम के तेल या गोमूत्र का उपयोग कर सकते है | इससे बीज सुरक्षित रहेंगे कोई रोग व बीमारी नहीं होगी और अंकुरण भी अच्छा होगा |
3. फसल चक्र और मिश्रित खेती –
फसल चक्र – फसलों को इस प्रकार से हेर – फेर कर बौना जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे साथ ही अच्छा उत्पादन हो, फसल चक्र कहलाता है |
मिश्रित खेती – अलग – अलग फसलों के बीजो को एक साथ मिलाकर उगाना मिश्रित खेती कहलाती है | इससे फसलों पर कीटो और रोगो का प्रकोप कम होता है |
4. जैविक खाद और उर्वरक का उपयोग – जैविक खेती में रासायनिक उर्वरको का उपयोग नहीं होता है उनके स्थान पर जैविक पदार्थो जैसे – गोबर की खाद, कम्पोस्ट, वर्मीकम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष आदि का उपयोग किया जाता है |
5. मित्र कीट और रोग नियंत्रण – फसलों को रोगो और कीटो से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है जैसे – नीम का तेल, लहसुन का अर्क, या गोमूत्र आदि |
हानिकारक कीटो को मारने के लिए मित्र कीटो का उपयोग क्या जाता है जैसे – लेडीबर्ड बीटल, पेचमकड़ी, प्रेइंग मैन्टिस आदि |हम इन सभी चरणों को ध्यान में रखकर जैविक खेती शुरू कर सकते है |
निष्कर्ष –
प्राकृतिक खेती पर्यावरण के अनुकूल है यह मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखती है। इसमें रासायनिक पदार्थों का कम उपयोग होता है, जिससे खेती की लागत कम होती है। स्वस्थ और पोषक फसलें मिलती हैं और किसानों को उच्च मूल्य भी मिलता है। किसान जैविक खेती को अपनाकर खेती को टिकाऊ बना सकते हैं। यह कृषि क्षेत्र को नई दिशा देगा। किसानो की आर्थिक स्तिथि में सुधार होगा | किसानों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे और अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
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