
परिचय –
आज के इस समय में खेती सिर्फ जीवन निर्वाह का साधन ही नहीं रहा है, बल्कि यह एक अच्छा व्यवसाय बन चूका है | किसान पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर आधुनिक फसलों की ओर आकृषित हो रहे है, जिसमे स्ट्रॉबेरी की खेती भी शामिल है |
भारत में किसानो के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है | बाज़ार में सालभर स्ट्रॉबेरी की मांग बनी रहती है, जिससे किसान इसे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है |
आइये इस ब्लॉग से जानते है की हम स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत कैसे कर सकते है |
स्ट्रॉबेरी की खेती का महत्व –
किसानो के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है, क्योंकि स्ट्रॉबेरी एक पौष्टिक व स्वादिष्ट फल है जिसका उपयोग फल के रूप में खाने में, आइसक्रीम में , जेम में और केक में भी करते है, जिसकी वजह से किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिलती है | इसकी खेती के निम्न फायदे है –
- पारंपरिक फसलों की तुलना में स्ट्रॉबेरी कम समय में ज्यादा मुनाफा देती है |
- स्ट्रॉबेरी एक पौष्टिक फल है जो विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है, जो स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है |
- स्ट्रॉबेरी की खेती से लोगो को रोजगार के अवसर मिल सकते है |
- छोटे किसान इस खेती को अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है | इसके लिए बड़े खेतो की आवयश्कता नहीं है | इसे पोलीहॉउस में भी उगाया जा सकता है |
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए आवयश्क जलवायु –
अगर हम स्ट्रॉबेरी की खेती की करना चाहते है तो सबसे पहले हमे इसकी जलवायु के बारे में पता होना चाहिए की इसे उगाने के लिए कैसा मौसम चाहिए | सही जलवायु मिलने पर फल अच्छी गुणवत्ता के साथ बनते है, जिससे उनके दाम अधिक मिलते है |
भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादातर ठंडी जगहों जैसे हिमाचल प्रदेश, जम्मू -कश्मीर और महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में की जाती है | क्योकि इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवयश्कता होती है, यह अधिक गर्मी को सहन नहीं कर सकती है |
स्ट्रॉबेरी की अच्छी बढ़वार के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान और 60-80 % आद्रता की आवयश्कता होती है | यह फसल को बढ़ने और विकसित होने में मदद करती है |
खेती के लिए भूमि की तैयारी –

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए भूमि की तैयारी करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे पोधों की बढ़वार और पैदावार पर सीधा असर पड़ता है।
इसकी खेती के लिए हल्की रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसका pH मान 5.5 से 6.5 के बीच हो।
खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाया जाता है, ताकि इसकी जड़े आसानी से फैल सके | इसी के साथ ही जमीन से अतिरिक्त पानी को निकलना भी जरूरी है, क्योंकि ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं।
अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद, कम्पोस्ट और जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए |
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए किस्म का चुनाव –
भूमि की तैयारी के बाद में बात आती है किस्मो की, हमे खेती के लिए सही किस्मो का चयन करना चाहिए जिससे हमे मीठे, बड़े और अच्छी गुणवत्ता के फल मिल सके |
भारत में स्ट्रॉबेरी की अनेक किस्मो की खेती की जाती है, जिनमे से कुछ मुख्य किस्म ये है –
1. चांडलर – यह भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म है। इसके फल लाल, चमकदार और मीठे होते हैं।
2. कैमरोसा – इस किस्म के फल बड़े, गहरे लाल ओर बहुत मीठे होते हैं। यह गर्मीं को भी सहन कर सकती है, इसलिए इसे मैदानी इलाकों में भी उगाया जाता है |
3. स्वीट चार्ली – यह कम समय में तैयार होने वाली किस्म है, जिससे किसान जल्दी मुनाफा कमा सकते हैं।
4. विंटर डॉन – यह किस्म ठंडी जगहों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है और इसके फल बड़े और ज्यादा मात्रा में लगते है |
5. फेस्टिवल – यह किस्म गर्मी को भी सहन कर सकती है साथ ही इसके फल सख्त होते हैं, जिससे यह ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होती है।
स्ट्रॉबेरी की खेती में सिंचाई प्रबंधन –

फसल चाहे कौनसी भी हो, उसमे पानी देना बहुत जरुरी होता है | इसी प्रकार स्ट्रॉबेरी में भी पानी देना बहुत जरुरी है, स्ट्रॉबेरी की खेती में सिंचाई बहुत ध्यान से करनी पड़ती है, इसमें पानी कम और ज्यादा दोनों स्तिथि में नुकसान पहुंचाता है | स्ट्रॉबेरी को अपने आस पास नमी चाहिए परन्तु पानी भरा हुआ नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे जड़े खराब हो सकती है |
इसलिए जड़ो को बचाने व सही तरीके से पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया जाता है | जिससे पानी बूंदो के रूप में पौधो की जड़ो को मिलता रहता है और नमी बनाए रखता है | इस विधि में पानी की बर्बादी नहीं होती है |
स्ट्रॉबेरी के अंदर सर्दियों में 4-5 दिनों और गर्मियों में 2-3 दिनों के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए |
पौधो की देखभाल और रखरखाव –
खेती में पौधों की देखभाल करना बहुत जरूरी है। पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए, उनकी पत्तियों और तनों की जांच करनी चाहिए ताकि कोई बीमारी या कीट का प्रकोप न हो |
पौधों की देखभाल और रखरखाव के लिए कुछ बाते ध्यान रखनी चाहिए –
- नियमित रूप से पौधो को पानी देना |
- पत्तियों ओर तनों की जांच करना |
- कीटो ओर बीमारियों से बचाव के लिए उपाय करना |
- पौधो को पर्याप्त मात्रा में पोषण देना |
स्ट्रॉबेरी के पौधों की नियमित देखभाल करने से पौधे स्वस्थ ओर मजबूत होते हैं, जिससे फलो की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ती है।
रोग और किट नियंत्रण –
पौधो में रोग और कीटो का नियंत्रण करना बहुत जरुरी है, क्योंकि यह फसल को बहुत नुकसान पहुंचाते है, जिससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित होती है
स्ट्रॉबेरी में प्रमुख रूप से पाउडरी मिल्ड्यू ओर बॉट्रिटिस बीमारी अधिक लगती है। इन बीमारियों को रोकने के लिए निम्न उपाय किये जाते है –
- कीटनाशकों का प्रयोग
- जेविक नियंत्रण
- फसल की नियमित जांच
- स्वस्थ पोधों का चयन
इन सभी तरीकों से स्ट्रॉबेरी की खेती में रोग और कीट नियंत्रण किया जा सकता है, जिससे फसल स्वस्थ और मजबूत होती है।
फलो की तुड़ाई व भंडारण –

स्ट्रॉबेरी की खेती में फलो की तुड़ाई व भंडारण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। जब फल पूरी तरह से पक जाए, तो फलो की तुड़ाई करने का सही समय होता है।
फलो को सुरक्षित ओर ताज़़ा रखने के लिए, सही भंडारण विधियों का पालन करना जरूरी है, तुड़ाई के बाद, फलो को ठंडे स्टोरेज में रखा जाता है जिससे फल ताजे ओर स्वादिष्ट बने रहे।
फलो की तुड़ाई व भंडारण के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातो का ध्यान रखना चाहिए –
- तुड़ाई के समय ही फलो को तोड़ना
- भंडारण की विधियों का पालन करना
- फलो को ठंडे स्टोरेज में रखना
- वैक्यूम पेकेजिंग का उपयोग करना
हम इन सभी प्रक्रियाओ का पालन करके फलो की सफलतापूवर्क तुड़ाई और भंडारण कर सकते है |
निष्कर्ष –
स्ट्रॉबेरी की खेती किसानो के लिए एक अच्छा विकल्प है, खासकर उन किसानो के लिए जिनके पास खेती करने के लिए जमीन कम है। यह किसानो के लिए आय का अच्छा स्त्रोत बन सकती है |
इसकी खेती के लिए जलवायु, मिट्टी, ओर किस्मों का सही चयन करना बहुत जरूरी है, इसी के साथ सिंचाई, पोधों की देखभाल और रोग नियंत्रण भी महत्वपूर्ण हैं।
सरकार भी अनेक योजनाएं और वित्तीय सहायता प्रधान करती है, इन सभी के बारे में किसानो को पता होना चाहिए ।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती एक सफल व्यवसाय बन सकती है।
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